Saturday, April 19, 2025

Dev Uthani Ekadashi में भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी का विवाह क्यो होता है..जानने के पढ़े पूरी कहानी

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Why does the marriage of Shaligram and Tulsi, the form of Lord Vishnu take place on Dev Uthani Ekadashi? Read the full story to know.

Curse of Lord Vishnu : हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले देवउठनी एकादशी जिसे लोग तुलसी विवाह के रूप में जानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता हैं। वृंदा चूँकि भगवान विष्णु की परमभक्त थी. उसी ने अपने आराध्य को दिया था श्राप, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान विष्णु के इतनी बड़ी भक्त होने के बाद भी वृंदा ने क्यों उन्हें पत्थर में परिवर्तित होने का श्राप दिया। नहीं जानते तो आइये हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारें में…

वृंदा.. विष्णुजी की परम भक्तों में से एक

Curse of Lord Vishnu : प्राचीन काल में एक जालंधर नामक राक्षस था. वह अत्यंत ही बलशाली था, उसे हराना इतना भी आसान नहीं था. उसके बलशाली होने का मुख्य कारण उसकी पत्नी वृंदा हैं. वृंदा भगवान् विष्णु की परमभक्त थी और पतिव्रता धर्म की थी. उसके प्रभाव से जालंधर को कोई भी पराजित नहीं कर पाता था. जब जालंधर युद्ध पर जाता तो वृन्दा भगवान् विष्णु की आराधना करती थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान् विष्णु उसकी सारी मनोकामनाए पूर्ण करते थे।

वृंदा का पतिव्रता धर्म..

Curse of Lord Vishnu : पौराणिक कथा अनुसार, जो एक बार फिर देवताओ और दानवों के बीच युद्ध हुआ। तब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा.. स्वामी आप युद्ध पर जा रहे हैं, आप जब तक रणभूमि में युद्ध करते रहेंगे, मैं पूजा में लीन होकर आपकी विजयी के लिए भगवान विष्णु की आराधना करते रहूंगी। जब तक आप रणभूमि में विजयी होकर वापस लौट नहीं आते मैं अपना यह संकल्प नहीं छोड़ूंगी।

वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में लीन हो गई। उसके व्रत के प्रभाव से सारे देवता भी जलंधर को पराजय न कर सके। जिससे सभी देवताएं भयभीत हो गए.और भगवान विष्णु के शरण में गए. सभी ने भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा, हे प्रभु! हमारी मदद करें। तत्पश्चात भगवान विष्णु बोले, वृंदा मेरी परम भक्त है, मैं उससे छल नहीं कर सकता। जिसे सुनकर देवतागण और भी भयभीत होकर बोले कि भगवन दूसरा कोई उपाय कृपया बताएं।

Curse of Lord Vishnu  : तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के महल गया। वृंदा को जैसे ही जलंधर ने पुकारा तो पूजा में लीन वृंदा ने अपनी आँखें खोली तब अपने पति को सामने देखकर पूजा से उठा गयी। जिससे वृंदा का पतिव्रता धर्म का संकल्प टूट गया। वृंदा का संकल्प टूटते ही युद्ध में देवताओ ने जलंधर को पराजित कर उसके सर को धड़ से अलग कर दिया।

वृंदा ने भगवान विष्णु को दिया श्राप..

Curse of Lord Vishnu : वृंदा का संकल्प टूटने के पश्चात् जलंधर का कटा हुआ सिर जब महल में आ गिरा तो वृंदा ने आश्चर्यचकित हो गयी। वृंदा ने भगवान की ओर देखा जिन्होंने जलंधर का रूप धर रखा था। वही दूसरी और जलंधर का कटा सिर निचे पड़ा था। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. जब वृंदा को पता चला कि स्वंय भगवान विष्णु ने उसके साथ छल किया है तो उसे गहरा पीड़ा पहुंची।

जिसके पश्चात पतिवियोग से प्रभावित वृंदा ने Curse of Lord Vishnu. वे क्षण भर में ही पत्थर बन जाएं. यह देखकर माता लक्ष्मी ने वृंदा से विनती की, कि वह भगवान विष्णु को श्राप को वापस ले ले. माता लक्ष्मी और सभी देवताओं की विनती करने के पश्चात वृंदा ने अपना श्राप वापस ले लिया और अपने पति जलंधर का सिर लेकर वही सती हो गईं।

शालीग्राम और तुलसी का विवाह क्यो होता है जाने ..

Curse of Lord Vishnu : वृंदा ने भगवान विष्णु को दिए श्राप वापस ले लिया और अपने पति जलंधर का सिर लेकर वही सती हो गईं. जहां वृंदा सती हुई थी वहां से एक पौधा उग गया, जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया और बोले कि शालिग्राम नाम से मेरा एक रूप इस पत्थर में हमेशा रहेगा. जिसकी पूजा तुलसी के साथ की जाएगी. यही वजह है कि हर साल देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

तुलसी विवाह हिन्दू धर्म के अनुयायीयों द्वारा किया जाने वाला एक औपचारिक विवाह कार्यक्रम है। जिसमें कार्तिक मास में तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है। लोकमान्यता में इस क्षण के बाद विवाह के लिये शुभ समय के रूप में माना जाता है।

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