Sunday, April 20, 2025

कोरबा में स्थित कनकेश्वर महादेव का प्रचीनतम मन्दिर, आस्था का केंद्र जाने इसका इतिहास!

Must Read

The oldest temple of Kankeshwar Mahadev कोरबा/छत्तीसगढ़ : कनकेश्वर महादेव छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कनकी गांव में स्थित है जो कोरबा से 20 किलोमीटर की दूरी, बिलासपुर से 70 किलोमीटर की दूरी एवं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट बिलासपुर में एवं नजदीकी रेलवे स्टेशन कोरबा में स्थित है। वहीं बस के माध्यम से भी कोरबा पहुंचकर कनकेश्वर धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है।कनकेश्वर महादेव (Kankeshwar Mahadev)के प्राचीन कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जो छत्तीसगढ़ प्राचीन भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में एक है।कनकी नामक गांव में भगवान शिव के स्वरूप कनकेश्वर महादेव (Kankeshwar Mahadev)स्थित है. यह छत्तीसगढ़ का प्राचीन शिव मंदिर है जिसे चक्रेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कोरबा जिले में स्थित कनकी गांव चारों दिशाओं से घनी जंगल प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है। इस पवित्र स्थान पर महाशिवरात्रि के दिन अधिक संख्या में भक्तों का भीड़ लगा रहता है एवं भगवान शिव के पवित्र सावन महीनो में भक्त दूर-दूर से गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते बोल बम का नारा लगाते हुए कनकेश्वर महादेव को जल अभिषेक करने आते हैं।

कनकेश्वर धाम से प्रसिद्ध, यह आस्था का केंद्र

कनकेश्वरधाम कनकी में सावन महिने के हर सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। आसपास क्षेत्र सहित जिले एवं दूसरे प्रदेश के लोग भी कनकेश्वर महादेव के दर्शन पूजन के लिए आते हैं एवं जलाभिषेक करते हैं। कई भक्त कांवड़ में जल लेकर बोल बम का उद्घोष करते हुए आते हैं एवं दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं। ग्राम कनकी का कनकेश्वर महादेव(Kankeshwar Mahadev)इस क्षेत्रवासियों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है। हजारों लोग अपनी मनोकामना पूरी करने कतारबद्ध होकर पूजा अर्चना करते हैं। यहां विराजमान कनकेश्वर महादेव को भुईफोड़ महादेव भी कहते हैं जिनके उत्पत्ति की गाथा ग्रामीणों द्वारा बताई जाती है।

हसदेव नदी किनारे 200 वर्ष पुराना स्वयंभू शिवलिंग


कोरबा के कनकी गांव हसदेव नदी के किनारे पर स्थित कनकेश्वर महादेव का मंदिर कोरबा के जमींदार परिवार द्वारा 200 वर्ष पहले निर्माण करवाया गया था। इस मंदिर पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग है जिसकी खोज गांव के ही बैजू नामक गाय चरवाहे ने किया था। इस मंदिर में भगवान कनकेश्वर के अलावा प्राचीन समय के मूर्तियों का अनोखा संग्रह है। मड़वारानी मंदिर के समीप खुदाई के दौरान पाये गये प्रतिमाओं को इस मंदिर में रखा गया है. साथ ही साथ कनकेश्वर मंदिर में एक ऐसा शिवलिंग है जिसे भक्तों के द्वारा चारो दिशाओं में घुमाया जाता है जिसे चकरी शिवलिंग या चक्रेश्वर महादेव कहते हैं। वर्तमान समय में यह क्रिया बंद कर दिया गया है। इस मंदिर परिसर में अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमा प्राचीन समय से स्थापित है।

कैसे प्रकट हुए स्वयंभू


कनकेश्वर महादेव मंदिर के प्राचीन कहानी काफी लोकप्रिय है। बताया जाता है प्राचीन समय में इस गांव में बैजू नामक गाय चरवाहा रहा करता था जो सभी गांव वाले के गाय को चराने का कार्य करता था। जिस स्थान पर भगवान कनकेश्वर स्थित है, उस समय इस स्थान पर घनी जंगल झाड़ी हुआ करता था। जिस स्थान पर एक गाय प्रतिदिन जाकर दूध गिराया करती थी। रोज दूध गिरने के कारण बैजू को गाय के मालिक से डांट खाना पड़ता था। बैजू ने उस गाय पर नजर रखना शुरू किया। तब बैजू ने एक दिन देखा की गाय एक छोटे से पत्थर पर दूध गिरा रही थी। तब बैजू ने उस पत्थर को देखने के लिए गया और गुस्से में आकर दूध गिरती पत्थर पर लाठी मारने लगा तब वह पत्थर एक छोटे टुकड़े में विभक्त हो गया। तब उसी रात के समय में बैजू को उस पत्थर के बारे में स्वप्न आता है जिसे पत्थर समझकर उसको हटाने की कोशिश किया था वह आम पत्थर नहीं बल्कि शिवलिंग था। तब बैजू ने सुबह जाकर देखा तो वहां शिवलिंग के साथ चावल के कुछ टुकड़े थे जिसे छत्तीसगढ़ की भाषा में कनकी कहा जाता है। तब बैजू ने सभी गांव वालों को सूचित किया तब से उस स्थान पर कनकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कर पूजा प्रतिष्ठा प्रारंभ किया गया। जो वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ के प्रमुख भगवान शिव के धार्मिक स्थलों में से एक है।

श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेले का आयोजन


कनकी के कनकेश्वरधाम में भोलेनाथ के भक्तों का श्रावण के पवित्र महीनो में अधिक संख्या में भीड़ लगा रहा रहता है। इस स्थान से लगा हुआ ही हसदेव नदी है जिससे श्रद्धालुगण पैदल यात्रा कांवर के माध्यम से गंगा जल लेकर भगवान शिव को जल अभिषेक करने के लिए आते हैं। कई श्रद्धालु अमरकंटक मध्यप्रदेश से भी जल लेकर पैदल जल अभिषेक करने आते हैं और बाबा भोलेनाथ के प्रति अपना श्रद्धा भक्ति व्यक्त करते हैं। बताया जाता है कि इस पवित्र स्थान पर जल एवं कनकी अभिषेक करने से लोगों की इच्छा अवश्य पूर्ण होती है। भगवान कनकेश्वर महादेव के कारण ही इस गांव का नाम कनकी रखा गया है।
ग्राम कनकी के कनकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के पवित्र स्थान पर महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान कनकेश्वर का दर्शन करने आते हैं।

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
Latest News

More Articles Like This